varsha-ritu
कुछ बीमारियां मौसम के असर से होती हैं जिनसे बचाव करने के लिए ऋतुचर्चा का पालन करना ज़रूरी होता है। वर्षा ऋतु के दिनों में होने वाली कुछ व्याधियों की घरेलू चिकित्सा....

वर्षा ऋतु (Varsha Ritu) की बीमारियां और घरेलू उपचार

वर्षा ऋतु (Varsha Ritu) की बीमारियां और घरेलू उपचार

(कुछ बीमारियां मौसम के असर से होती हैं जिनसे बचाव करने के लिए ऋतुचर्चा का पालन करना ज़रूरी होता है। वर्षा ऋतु (Varsha Ritu)के दिनों में होने वाली कुछ व्याधियों की घरेलू चिकित्सा यहां प्रस्तुत की जा रही है।)

वर्षाकाल में प्रायः जठराग्नि मन्द हो जाती है और वात कुपित रहता है इसलिए इन दिनों में उदर सम्बन्धी व्याधियां हो जाया करती हैं। जल की अशुद्धि और जलवायु में नमी होने के कारण त्वचा विकार भी इन दिनों हो जाया करते हैं। व्याधि के उत्पन्न होते ही घरेलू उपचार से इन्हें न सिर्फ़ बढ़ने से ही रोका जा सकता है बल्कि ठीक भी किया जा सकता है। यहां कुछ अनुभूत और लाभप्रद प्रयोग प्रस्तुत हैं

वर्षा ऋतु (Varsha Ritu) की बीमारियां और घरेलू उपचार

अग्निमान्द्य अदरक का रस आधा चम्मच, आधा चम्मच शहद और सोंठ का चूर्ण ३ ग्राम तीनों को मिला कर भोजन से आधा या एक घण्टा पूर्व चाट लिया करें। यदि यह न हो सके तो अदरक के बारीक बारीक टुकड़े करके ऊपर से थोड़ा सा खाने का नमक बुरक लें । अदरक की एक गांठ के टुकड़े पर्याप्त होंगे चाहे तो इससे कम भी ले सकते हैं । इन्हें भोजन शुरू करने से पहले खूब चबा चबा कर खा लें फिर भोजन करें। भोजन के बाद आधा कप पानी में २ चम्मच “झण्डू पंचारिष्ट” डाल कर सुबह शाम पीने से पाचन शक्ति को बल मिलता है और भूख खुल कर लगती है।

उल्टी दस्त – उल्टी दस्त होने पर प्राण सुधा, पुदीनहरा या अमृतधारा जो भी मिल सके उसकी ४-५ बूंद एक बताशे में टपका कर ३-३ घण्टे से खाने से आराम होता है। ऐसी स्थिति में चाय पीना बन्द रखें। भोजन में सिर्फ खिचड़ी या ताज़े दही के साथ चावल खाएं। ज्यादा पतले दस्त लगें तो बेल के मुरब्बे के १-२ टुकड़े सुबह दोपहर व शाम को खाएं। ७-८ घण्टे में आराम न हो तो तुरन्त चिकित्सक से चिकित्सा कराएं।

उदरशूल – यदि पेट फूल रहा हो, गैस बढ़ रही हो तो ‘शिवाक्षार पाचन चूर्ण’ या ‘हिंग्वाष्टक ‘चूर्ण’ १ चम्मच मात्रा में फांक कर थोड़ा गरम पानी पी लें। इससे गैस निकल जाएगी। यदि उदर में चटके के साथ रह रहकर तेज़ दर्द होता हो तो केमिस्ट की दूकान से ‘बसकोपेन कम्पोज़ीटम’ नामक टेबलेट लाकर दो टेबलेट एक खुराक में पानी के साथ ले लें । १०-१५ मिनिट में आराम हो जाएगा। यदि आराम न हो तो चिकित्सक को दिखाने में देर न करें। काला नमक का छोटा टुकड़ा चूस लें तो भी गैस का तनाव समाप्त हो जाएगा। पानी में एक चम्मच खाने का सोडा घोलकर पीने से पाचन ठीक होता है।

आंवयुक्त दस्त – आंवयुक्त दस्त लगने पर पहले दिन निराहार रहें, दस्त को रोकने की कोई भी दवा न लें और विकार निकल जाने दें। दस्त ‘बन्द करने की दवा खाने से आंव अन्दर ही रुक जाएगी जो हानिकारक होगी। दूसरे दिन दही चावल, केले, खिचड़ी आदि खाएं। चाय न पिएं शाम को एक गिलास दूध में आधा चम्मच सोंठ चूर्ण डालकर उबालें। उतार कर ठण्डा करें और २ चम्मच अरण्डी का तैल (केस्टर आइल) डाल कर पी जाए। ३-४ दिन सोते समय यह प्रयोग करने से अन्दर की आंव निकल जाएगी। इसके बाद बाज़ार से कुटजारिष्ट की बाटल लाकर भोजन के बाद सुबह शाम २-२ चम्मच दवा आधा कप पानी में डाल कर १० -१५ दिन तक पिए। लाभ होने पर दवा बन्द कर दें। तले पदार्थ, मिठाई और चाय का सेवन बन्द रखें।

varsha ritu, twachaत्वचा रोग – त्वचा पर खुजली चलने, फुंसियां होने आदि की शिकायत होने पर ‘नीम साबुन’ का प्रयोग करें या पानी में नीम की साफ़ की हुई पत्तियां उबाल कर इस पानी से स्नान करें । बदन को गीला न रहने दें। तौलिया से खूब रगड़ कर पोंछा करें। जहां खुजली चलती हो वहां ‘सोमराजी तैल’ लगाएं। नमक खाना २-४ दिन के लिए बन्द कर दें या बहुत कम मात्रा में खाएं। भोजन के बाद सुबह शाम १-१ चम्मच मात्रा में हमदर्द की “साफ़ी” आधा कप पानी में डालकर पिएं।

बालतोड़ – इसे अंग्रेजी में कारबंकल कहते हैं। यह प्रायः पैरों या पीठ पर ज्यादातर होता है। पहले फुंसी उठती है फिर इसके आसपास लाली और सूजन आ जाती है। इसमें जलन के साथ दर्द, होता है। शुरू के १-२ दिन इसमें बहुत तनाव । रहता है और कभी – कभी बुखार भी आ जाता है।  २-४ दिन में ठीक न हो तो फिर चीरा लगवाना पड़ता है। इसका घरेलू उपाय बहुत सरल है। एक प्याज को आग पर भून लें और फोड़ कर इसके २-३ छिलके निकाल लें। छिलके, एक के एक रखकर थोड़ी पिसी हुई हल्दी रखकर इसे इस तरह बालतोड़ पर रखें कि पहले हल्दी और फिर छिलके रखा जाए। ऐसा भी कर सकते हैं कि हल्दी बालतोड़ पर फैलाकर डाल दें ऊपर से छिलके रख दें। छिलके उतने गरम होना चाहिए जितना सहन कर सकें, ठण्डे न होने दें। इस पर रूई का फाह रख कर कस कर पट्टी बांध दें या ‘एधेसिव प्लास्ट की पट्टी चिपका दें। इसको बांधते ही चैन पड़ जाता है। इसे रात को सोते समय बांध सकते हैं। सुबह फोड़ा फूट चुका होगा। न फूटे तो फिर से इसी तरह प्याज भूनकर बांध दें। फुंसी (फोड़ा) फूटते ही सारा तनाव समाप्त हो जाएगा। घाव ठीक करने के लिए घी के फाहे का कड़का बनाकर सहता-सहता गर्म इस पर रख कर पट्टी बांध दें। ३-४ दिन तक यह पट्टी बदलकर बांधते रहें। घाव भर जाएगा।

Share this:

This Post Has One Comment

Leave a Reply


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

RECOMMENDED ARTICLES