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जामुन (jamun) – Blackberry
(जामुन (Jamun) – Blackberry एक ऐसा फल है जिसका सेवन बहुत ही कम किया जाता है जबकि यह एक गुणकारी फल है।
खासतौर से इस “डायबिटिक एज” में, जहां अधिकांश लोग डायबिटीज़ रोग से ग्रस्त है, जामुन का सेवन बहुत ज़रूरी व उपयोगी सिद्ध होगा।
विशेष विवरण इस लेख में पढ़िए।)
भाव प्रकाश निघण्टु में लिखा है
राज जम्बूफलं स्वादु विष्टम्भि गुरु रोचनम् । जंबूः संग्राहिणी रूक्षा कफपित्तास्त्रदाहजित् ।
विभिन्न भाषाऔ में नाम –
संस्कृत में राज जम्बू, क्षुद्र जम्बू । हिंदी में छोटी जामुन, कठ जामुन, जामुन, मराठी में जाम्भुल, गुजराती में जाम्बुन, बंगाली में बड़जाम, जामगाछ,
तेलुगु में पेद्दानेरेडु, तमिल में शबल नावल, कन्नड़ में नेरले, मलयालम में नवल, फारसी में जामन, अंग्रेजी में जम्बुल ट्री,लैटिन में युजनिया जाम्बोलेना ।
जामुन Jamun के गुण
यह रूखी, कसैली, मधुर, शीतल, रुचिकारक ग्राही, स्वादिष्ट, विष्टम्भी, भारी और कफ, पित्त, रक्त विकार और दाहनाशक है। इसकी गुठली मलरोधक और मधुमेह को नष्ट करने वाली होती है।
परिचय – जामुन सारे भारत में उत्पन्न होने वाला सुपरिचित फल हैं। आम के पेड़ की तरह इसके वृक्ष भी बहुत बड़े होते हैं और पत्ते भी आम के पत्तों से मिलते जुलते होते हैं। इसके फूल अप्रेल से जून के बीच और फल जून जुलाई मास में लगते हैं।
यह वर्षा काल में पूरे समय उपलब्ध रहने वाला फल । यह छोटा और बड़ा दो प्रकार का होता है। बड़ी जामुन की तुलना में छोटी जामुन गूदा भाग कम होता है।
उपयोग – जामुन का सेवन अन्य फलों की अपेक्षा बहुत कम किया जाता है। शायद जामुन का कसैला और तूरा स्वाद इसका कारण हो सकता है क्योंकि इसे खाते खाते जीभ में एक प्रकार की एंठन सी होने लगती है। इसके फल खाने से रक्त विकार, फोड़े फुन्सियां होना बन्द हो जाता है।
इसके पत्तों की राख से दन्तमंजन करने से दांत व मसूढ़े मज़बूत होते हैं। यह दिल की बढ़ी हुई धड़कन को सामान्य करता है।
इसके नरम ताज़े पत्तों को पानी में पीसकर, इसके रस को पानी सहित छान कर कुल्ले व गरारे करने से मुंह के छालों में बहुत आराम होता है। एक पाव गाय के दूध में थोड़े पत्ते घोंट पीस छान कर प्रतिदिन सुबह पीने से खूनी बवासीर में आराम होता है याने खून गिरना बन्द होता है।
जामुन और मधुमेह
जामुन की गुठली मधुमेह रोग को ठीक करने में बहुत कारगर सिद्ध हुई है। चिकित्सा विशेषज्ञों और शरीर शास्त्रियों ने अनेक परीक्षण कर इसे मधुमेह के लिए उपयोगी पाया है। इसकी गुठली, पत्ते और छाल सभी गुणकारी और लाभप्रद है।
इसकी गुठली का महीन चूर्ण १-२ ग्राम मात्रा मे सुबह शाम ताज़े जल के साथ फांकने से कुछ दिनों में पेशाब में शकर जाना बन्द हो जाता है
मधुमेह के रोगी को पेशाब की जांच करवा कर इसका प्रयोग करना चाहिए और १५-१५ दिन में जांच कराते रहना चाहिए। जब शकर आना बन्द हो जाए तो इस प्रयोग को भी बन्द कर देना चाहिए ।
अतिसार, आमातिसार, यकृत व तिल्ली के रोग दूर करने के लिए भी जामुन का प्रयोग लाभकारी सिद्ध हुआ है। जामुन का सिरका बाज़ार में मिलता है। एक चम्मच सिरका भोजन के बाद सुबह शाम पीने से ये व्याधियां नष्ट हो जाती हैं।
मधुमेह के रोगी को उचित पथ्य का पालन करते हुए भोजन में शकर बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन बन्द कर इसका सेवन करना चाहिए। शकर, मिठाई गेहूँ के आटे का सेवन बन्द करके जौ या बाजरे के आटे की रोटी खाना चाहिए।
अतिसार, यकृत व तिल्ली के रोगी को सादा सुपाच्य भोजन कर चाहिए। तले हुए, बेसन के और गरिष्ठ याने पचने में भारी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
जामुन और आम की गुठली का चूर्ण समभाग मिला कर रख लें। इसे २-२ ग्राम मात्रा में जल के साथ फांक कर सेवन करने से आंव के दस्तों में आराम होता है। जामुन पर नमक बुरक कर खाने से इसके दोष नष्ट होते हैं।
इसका फल थोड़ी मात्रा में, जब तक यह उपलब्ध रहे, प्रतिदिन खाना चाहिए। अधिक मात्रा में खाने से हानि भी होती है अतः अपनी रुचि और शारीरिक स्थिति के अनुसार उचित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए। इस मात्रा का निर्णय अपने विवेक से स्वयं कर लेना चाहिए।
यह सिर्फ़ एक जानकारी है. इसका मकसद किसी तरह की मेडिकल सलाह या जांच का सुझाव देना नहीं है.